श्री महाभारत  »  पर्व 1: आदि पर्व  »  अध्याय 174: वसिष्ठजीके अद्‍भुत क्षमा-बलके आगे विश्वामित्रजीका पराभव  »  श्लोक 20-21h
 
 
श्लोक  1.174.20-21h 
वसिष्ठ उवाच
बलस्थश्चासि राजा च बाहुवीर्यश्च क्षत्रिय:॥ २०॥
यथेच्छसि तथा क्षिप्रं कुरु मा त्वं विचारय।
 
 
अनुवाद
वशिष्ठ बोले, "तुम सेना सहित हो, राजा हो और अपने बाहुबल पर निर्भर रहने वाले क्षत्रिय हो। तुम्हारी जैसी इच्छा हो, शीघ्रता से करो, इसके विषय में मत सोचो।"
 
Vasishtha said, "You are with the army, you are a king and you are a Kshatriya who relies on his physical strength. Do as you wish quickly, do not think about it."
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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