श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 9: परम गुह्य ज्ञान  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  9.21 
ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालं
क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशन्ति ।
एवं त्रयीधर्ममनुप्रपन्ना
गतागतं कामकामा लभन्ते ॥ २१ ॥
 
 
अनुवाद
जब वे इस प्रकार विशाल दिव्य इन्द्रिय सुख भोग लेते हैं और अपने पुण्य कर्मों का फल क्षीण हो जाता है, तो वे पुनः इस मृत्युलोक में लौट आते हैं। इस प्रकार जो लोग तीनों वेदों के सिद्धांतों का पालन करते हुए इन्द्रिय सुख की खोज करते हैं, वे केवल बार-बार जन्म-मृत्यु को प्राप्त होते हैं।
 
Thus when they (worshippers) enjoy the vast heavenly pleasures and the fruits of their pious deeds get exhausted, they return to this mortal world. Thus, those who remain steadfast in the principles of the three Vedas and search for sense-pleasures, they only get the cycle of birth and death.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.