श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 8: भगवत्प्राप्ति » श्लोक 17 |
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| | श्लोक 8.17  | सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदु: ।
रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जना: ॥ १७ ॥ | | | अनुवाद | मानवीय गणना के अनुसार, एक हज़ार युग मिलकर ब्रह्मा के एक दिन की अवधि बनाते हैं। और इतनी ही उनकी रात्रि की अवधि भी है। | | According to human calculations, one thousand Yugas together make one day of Brahma and Brahma's night is also of the same length. |
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