श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 8: भगवत्प्राप्ति » श्लोक 16 |
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| | श्लोक 8.16  | आब्रह्मभुवनाल्लोका: पुनरावर्तिनोऽर्जुन ।
मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते ॥ १६ ॥ | | | अनुवाद | भौतिक जगत में सर्वोच्च लोक से लेकर निम्नतम लोक तक, सभी दुःख के स्थान हैं जहाँ बार-बार जन्म-मृत्यु होती रहती है। परन्तु हे कुन्तीपुत्र! जो मेरे धाम को प्राप्त हो जाता है, वह फिर कभी जन्म नहीं लेता। | | In this world, from the highest to the lowest, all the worlds are abodes of sorrows, where the cycle of birth and death continues. But O son of Kunti! One who attains my abode never takes birth again. |
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