श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 7: भगवद्ज्ञान  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  7.9 
पुण्यो गन्ध: पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ ।
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु ॥ ९ ॥
 
 
अनुवाद
मैं पृथ्वी की मूल सुगंध हूँ, मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, मैं सभी प्राणियों का जीवन हूँ, मैं सभी तपस्वियों की तपस्या हूँ।
 
I am the primal fragrance of the earth and the heat of the fire. I am the life of all beings and the penance of ascetics.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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