श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 7: भगवद्ज्ञान » श्लोक 10 |
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| | श्लोक 7.10  | बीजं मां सर्वभूतानां विद्धि पार्थ सनातनम् ।
बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम् ॥ १० ॥ | | | अनुवाद | हे पृथापुत्र! यह जान लो कि मैं समस्त भूतों का मूल बीज, बुद्धिमानों की बुद्धि तथा समस्त शक्तिशाली पुरुषों का पराक्रम हूँ। | | O son of Pritha, know that I am the original seed of all beings, the intellect of the wise and the brilliance of all illustrious men. |
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