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श्रीमद् भगवद्-गीता
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अध्याय 5: कर्मयोग
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श्लोक 16
श्लोक
5.16
ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मन: ।
तेषामादित्यवज्ज्ञानं प्रकाशयति तत्परम् ॥ १६ ॥
अनुवाद
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परंतु जब कोई उस ज्ञान से प्रकाशित होता है, जिससे अज्ञानता नष्ट हो जाती है, तो उसका ज्ञान सब कुछ उसी प्रकार उजागर कर देता है जैसे दिन में सूर्य से सभी वस्तुएँ प्रकाशित हो जाती हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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