श्रीभगवानुवाच
बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन ।
तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परन्तप ॥ ५ ॥
अनुवाद
भगवान श्री कृष्ण ने कहा - हे अर्जुन! तुम्हारे और मेरे अनेकों जन्म हो चुके हैं। मुझे तो उन सबका स्मरण है, परंतु हे शत्रुओं के नाश करने वाले! तुम्हें उनका स्मरण नहीं रह सकता।