श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 4: दिव्य ज्ञान  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  4.12 
 
 
काङ्क्षन्तः कर्मणां सिद्धिं यजन्त इह देवता ।
क्षिप्रं हि मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  इस जगत में मनुष्य फलदायी कार्यों में सफलता पाना चाहते हैं और इसलिए देवताओं की पूजा करते हैं। निस्संदेह, इस जगत में मनुष्यों को फलदायी कार्यों के परिणाम शीघ्र प्राप्त होते हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.