श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 3: कर्मयोग  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  3.43 
 
 
एवं बुद्धेः परं बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना ।
जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम् ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार हे महाबाहु अर्जुन! अपने आपको भौतिक इन्द्रियों, मन तथा बुद्धि से परे जान कर आध्यात्मिक बुद्धि (कृष्णभावनामृत) से मन को नियंत्रित करो; और आध्यात्मिक शक्ति से कामरूपी इस शत्रु पर विजय प्राप्त करो।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भगवद्-गीता के अंतर्गत तीसरा अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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