इस प्रकार हे महाबाहु अर्जुन! अपने आपको भौतिक इन्द्रियों, मन तथा बुद्धि से परे जान कर आध्यात्मिक बुद्धि (कृष्णभावनामृत) से मन को नियंत्रित करो; और आध्यात्मिक शक्ति से कामरूपी इस शत्रु पर विजय प्राप्त करो।
इस प्रकार श्रीमद् भगवद्-गीता के अंतर्गत तीसरा अध्याय समाप्त होता है ।