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श्रीमद् भगवद्-गीता
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अध्याय 3: कर्मयोग
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श्लोक 30
श्लोक
3.30
मयि सर्वाणि कर्माणि सन्न्यस्याध्यात्मचेतसा ।
निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः ॥ ३० ॥
अनुवाद
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अतः हे अर्जुन! अपने सारे कर्मों को मेरे अर्पण कर दो, मेरे पूर्ण ज्ञान से युक्त हो जाओ, लाभ की इच्छा से रहित हो जाओ, स्वामित्व के किसी भी दावे का त्याग कर दो और आलस्य से मुक्त होकर युद्ध करो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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