प्रकृतेर्गुणसम्मूढाः सज्जन्ते गुणकर्मसु ।
तानकृत्स्नविदो मन्दान्कृत्स्नविन्न विचालयेत् ॥ २९ ॥
अनुवाद
माया के गुणों के मोह के कारण ज्ञानहीन मनुष्य पूर्णतः भौतिक क्रियाकलापों में लिप्त होकर उनमें आसक्त हो जाते हैं। यद्यपि उनके ये कर्म ज्ञान की कमी के कारण नीच हैं, किन्तु ज्ञानी को चाहिए कि उन्हें विचलित न करें।