श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 3: कर्मयोग  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  3.24 
 
 
उत्सीदेयुरिमे लोका न कुर्यां कर्म चेदहम् ।
सङ्करस्य च कर्ता स्यामुपहन्यामिमाः प्रजाः ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  यदि मैं अपना निर्धारित कर्तव्य नहीं करता, तो ये सारे संसार नष्ट हो जाएँगे। तब मैं अवांछित संतान पैदा करने का कारण बनूँगा और इस तरह सभी जीवों की शांति को नष्ट कर दूँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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