श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 3: कर्मयोग  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  3.23 
 
 
यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः ।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  यदि मैं कभी सावधानीपूर्वक निर्धारित कर्म नहीं करूँ, तो हे अर्जुन! निश्चित रूप से सभी मनुष्य मेरे मार्ग का ही अनुसरण करेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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