यह आध्यात्मिक तथा ईश्वरीय जीवन का मार्ग है, जिसे प्राप्त करके मनुष्य विचलित नहीं होता। यदि कोई जीवन के अन्तिम समय में भी ऐसे स्थित हो तो वह परमात्मा के राज्य में प्रवेश कर सकता है।
इस प्रकार श्रीमद् भगवद्-गीता के अंतर्गत दूसरा अध्याय समाप्त होता है ।