विहाय कामान्यः सर्वान्पुमांश्चरति निःस्पृहः ।
निर्ममो निरहङ्कार स शान्तिमधिगच्छति ॥ ७१ ॥
अनुवाद
जिस व्यक्ति ने इन्द्रियतृप्ति की समस्त इच्छा को त्याग दिया है, जो इच्छाओं से रहित रहता है और जिसने सम्पूर्ण ममताओं को छोड़ दिया है एवं अहंकार से शून्य है, वही व्यक्ति वास्तविक शांति प्राप्त कर सकता है।