श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 2: गीता का सार  »  श्लोक 65
 
 
श्लोक  2.65 
 
 
प्रसादे सर्वदुःखानां हानिरस्योपजायते ।
प्रसन्नचेतसो ह्याश‍ु बुद्धिः पर्यवतिष्ठते ॥ ६५ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार कृष्णभावनामृत में संतुष्ट होने वाले व्यक्ति के लिए संसार के तीनों कष्ट समाप्त हो जाते हैं, और ऐसी संतुष्ट चेतना प्राप्त करने पर उसकी बुद्धि शीघ्र ही अचल हो जाती है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.