अर्जुन उवाच
स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव ।
स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम् ॥ ५४ ॥
अनुवाद
अर्जुन ने पूछा—हे कृष्ण! अध्यात्म में स्थित चेतना वाले पुरुष के लक्षण क्या हैं? वह कैसा बोलता है और उसकी भाषा कैसी होती है? वह कैसे बैठता है और कैसे चलता है?