इस प्रकार भगवान की भक्ति में लीन होकर महान ऋषिगण या भक्त अपने आपको इस भौतिक दुनिया में कर्म के परिणामों से मुक्त कर लेते हैं। इस तरह वे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं और भगवान के पास जाकर ऐसी स्थिति प्राप्त कर लेते हैं जो सभी दुखों से परे है।