वेदों के उन अलंकृत शब्दों के प्रति, जो स्वर्ग की प्राप्ति, अच्छे जन्म, शक्ति इत्यादि के लिए विविध सकाम कर्मों को करने की सलाह देते हैं, अल्पज्ञानी मनुष्य बहुत आसक्त रहते हैं। इन्द्रियतृप्ति तथा ऐश्वर्यपूर्ण जीवन की इच्छा के कारण वे कहते हैं कि इससे बढ़कर कुछ भी नहीं है।