श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 2: गीता का सार » श्लोक 4 |
|
| | श्लोक 2.4  | |  | | अर्जुन उवाच
कथं भीष्ममहं संख्ये द्रोणं च मधुसूदन ।
इषुभिः प्रतियोत्स्यामि पूजार्हावरिसूदन ॥ ४ ॥ | | अनुवाद | | अर्जुन ने कहा—हे शत्रुओं का नाश करने वाले! हे मधुसूदन! युद्धभूमि में भीष्म और द्रोण जैसे पूजनीय लोगों पर मैं कैसे बाण चलाऊँगा? | |
| |
|
|