वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भगवद्-गीता
»
अध्याय 2: गीता का सार
»
श्लोक 39
श्लोक
2.39
एषा तेऽभिहिता सांख्ये बुद्धिर्योगे त्विमां शृणु ।
बुद्ध्या युक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि ॥ ३९ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
मैंने अब तक वैश्लेषिक अध्ययन के माध्यम से इस ज्ञान का वर्णन किया है। अब ध्यान दो, मैं निस्वार्थ कर्म करने की विधि बता रहा हूं। हे पृथा पुत्र! यदि तुम इस ज्ञान अनुसार कार्य करोगे तो तुम स्वयं को कर्मों के बंधन से मुक्त कर सकते हो।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.