जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च ।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि ॥ २७ ॥
अनुवाद
जन्म लेने वाले की मृत्यु अवश्यम्भावी है और मृत्यु के पश्चात् पुनर्जन्म भी निश्चित है। इसलिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय तुम्हें विलाप नहीं करना चाहिए।