श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 2: गीता का सार  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  2.27 
 
 
जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च ।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  जन्म लेने वाले की मृत्यु अवश्यम्भावी है और मृत्यु के पश्चात् पुनर्जन्म भी निश्चित है। इसलिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय तुम्हें विलाप नहीं करना चाहिए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.