श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 2: गीता का सार  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  2.16 
 
 
नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः ।
उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  जो तत्त्वदर्शी होते हैं, उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला है कि जो असत्य है (भौतिक शरीर), उसका कोई अस्तित्व नहीं है, जो सत्य है (आत्मा), उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। उन्होंने दोनों की प्रकृति का अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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