देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा ।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति ॥ १३ ॥
अनुवाद
जैसे शरीर में निवास करने वाली आत्मा बाल्यावस्था से यौवन और फिर बुढ़ापे में निरंतर अग्रसर होती रहती है, उसी तरह मृत्यु के पश्चात वह आत्मा दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है। एक धैर्यवान व्यक्ति ऐसे परिवर्तन से मोहित नहीं होता।