श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 2: गीता का सार  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  2.11 
 
 
श्रीभगवानुवाच
अशोच्यनन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे ।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री भगवान बोले - तुम ज्ञानी की तरह बात कर रहे हो और उसी के लिए शोक कर रहे हो जो शोक योग्य नहीं है। वास्तव में विद्वान व्यक्ति न तो मृतक के लिए शोक करता है और न ही जीवित व्यक्ति के लिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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