श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 2: गीता का सार  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  2.10 
 
 
तमुवाच हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत ।
सेनयोरूभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं वचः ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  हे भारतवंशी धृतराष्ट्र! उस समय दोनों सेनाओं के मध्य शोकमग्न अर्जुन से कृष्ण ने, मानो मुस्कुराते हुए, ये शब्द कहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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