श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 2: गीता का सार » श्लोक 1 |
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| | श्लोक 2.1  | |  | | सञ्जय उवाच
तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् ।
विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥ १ ॥ | | अनुवाद | | संजय ने कहा - करुणा से भरे, शोक से व्याप्त, अश्रुपूरित नेत्रों वाले अर्जुन को देखकर मधुसूदन कृष्ण ने ये शब्द कहे। | |
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