श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 18: संन्यास योग  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  18.7 
नियतस्य तु सन्न्यास: कर्मणो नोपपद्यते ।
मोहात्तस्य परित्यागस्तामस: परिकीर्तित: ॥ ७ ॥
 
 
अनुवाद
नियत कर्तव्यों का कभी त्याग नहीं करना चाहिए। यदि कोई मोह के कारण अपने नियत कर्तव्यों का त्याग कर देता है, तो ऐसा त्याग तामसी कहलाता है।
 
One should never abandon the prescribed duties. If someone abandons his prescribed duties due to attachment, such renunciation is called Tamasi.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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