|
|
|
श्लोक 18.66  |
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच: ॥ ६६ ॥ |
|
|
अनुवाद |
सब प्रकार के धर्मों को त्यागकर केवल मेरी शरण में आ जाओ। मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्ति दिला दूँगा। डरो मत। |
|
Abandon all kinds of religions and come to me for refuge. I will deliver you from all sins. Do not be afraid. |
|
✨ ai-generated |
|
|