मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ॥ ६५ ॥
अनुवाद
हमेशा मेरा ध्यान करो, मेरे भक्त बनो, मेरी पूजा करो और मुझे नमन करो। ऐसा करने से तुम निश्चित रूप से मेरे पास आ पाओगे। मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ, क्योंकि तुम मेरे सबसे प्रिय मित्र हो।