प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च कार्याकार्ये भयाभये ।
बन्धं मोक्षं च या वेत्ति बुद्धि: सा पार्थ सात्त्विकी ॥ ३० ॥
अनुवाद
हे पृथापुत्र! वो बुद्धि सतोगुणी है, जिसके द्वारा मनुष्य ये पहचान पाता है कि क्या करना चाहिए क्या नहीं, किनसे डरना है और किनसे नहीं, क्या बंधन है और क्या मुक्ति।