श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 18: संन्यास योग » श्लोक 13 |
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| | श्लोक 18.13  | |  | | पञ्चैतानि महाबाहो कारणानि निबोध मे ।
सांख्ये कृतान्ते प्रोक्तानि सिद्धये सर्वकर्मणाम् ॥ १३ ॥ | | अनुवाद | | हे महाबाहु अर्जुन! वेदों के अनुसार किसी भी कर्म को पूर्ण करने के लिए पाँच कारण होते हैं। अब तुम उन्हें मुझसे सुनो। | |
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