एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धय: ।
प्रभवन्त्युग्रकर्माण: क्षयाय जगतोऽहिता: ॥ ९ ॥
अनुवाद
ऐसे निष्कर्षों पर पहुँचकर आसुरी प्रवृत्ति वाले लोग जो अपने आप को खो चुके हैं और जिनके पास बुद्धि नहीं है, अनुपयोगी एवं भयावह कामों में लिप्त रहते हैं, जो संसार को नष्ट करने वाले होते हैं।