श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 16: दैवी तथा आसुरी स्वभाव » श्लोक 4 |
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| | श्लोक 16.4  | दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोध: पारुष्यमेव च ।
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम् ॥ ४ ॥ | | | अनुवाद | हे पृथापुत्र! अभिमान, अहंकार, दंभ, क्रोध, कठोरता और अज्ञान - ये गुण आसुरी प्रकृति के हैं। | | O son of Pritha! Arrogance, arrogance, pride, anger, harshness and ignorance – these are the qualities of people of demonic nature. |
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