श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 15: पुरुषोत्तम योग  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  15.20 
इति गुह्यतमं शास्त्रमिदमुक्तं मयानघ ।
एतद्‍बुद्ध्वा बुद्धिमान्स्यात्कृतकृत्यश्च भारत ॥ २० ॥
 
 
अनुवाद
हे निष्पाप! यह वैदिक शास्त्रों का अत्यन्त गोपनीय भाग है और अब मैं इसे प्रकट कर रहा हूँ। जो इसे समझ लेगा, वह बुद्धिमान हो जाएगा और उसके प्रयास सिद्ध हो जाएँगे।
 
O Anagha! This is the most secret portion of the Vedic scriptures, which I have now revealed. Whoever understands this will become wise and his endeavors will be successful.
 
इस प्रकार श्रीमद् भगवद्-गीता के अंतर्गत पंद्रहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.