श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 15: पुरुषोत्तम योग » श्लोक 19 |
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| | श्लोक 15.19  | यो मामेवमसम्मूढो जानाति पुरुषोत्तमम् ।
स सर्वविद्भजति मां सर्वभावेन भारत ॥ १९ ॥ | | | अनुवाद | जो कोई भी मुझे पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् के रूप में बिना किसी संदेह के जानता है, वह सब कुछ जानने वाला है। इसलिए हे भरतपुत्र! वह मेरी पूर्ण भक्ति में लगा रहता है। | | Anyone who knows me as the Supreme Personality of Godhead without any doubt is the knower of all. Therefore, O son of Bharata, that person is immersed in My complete devotion. |
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