श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 15: पुरुषोत्तम योग  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  15.16 
द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च ।
क्षर: सर्वाणि भूतानि कूटस्थोऽक्षर उच्यते ॥ १६ ॥
 
 
अनुवाद
प्राणियों के दो वर्ग हैं, च्युत और अच्युत। भौतिक जगत में प्रत्येक जीव च्युत है, और आध्यात्मिक जगत में प्रत्येक जीव अच्युत कहलाता है।
 
There are two types of living beings-fallen and infallible. In the physical world, every living being is fallen (Kshar) and in the spiritual world, every living being is called Achut (Akshar).
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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