तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम् ।
प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत ॥ ८ ॥
अनुवाद
हे भरतकुमार! जान लो कि अज्ञान से उत्पन्न तमोगुण सभी देहधारी जीवों का भ्रम है। इस गुण से पागलपन, सुस्ती और निद्रा उत्पन्न होती है, जो बंधे हुए प्राणी को जकड़ लेते हैं।