श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 14: प्रकृति के तीन गुण » श्लोक 8 |
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| | श्लोक 14.8  | तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम् ।
प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत ॥ ८ ॥ | | | अनुवाद | हे भारतपुत्र! यह जान लो कि अज्ञान से उत्पन्न तमोगुण ही समस्त देहधारी जीवों का मोह है। इस गुण के परिणाम हैं - मद, आलस्य और निद्रा, जो बद्धजीवों को बाँधते हैं। | | O son of Bharata, know that the mode of ignorance born of ignorance is the delusion of all embodied beings. The results of this mode are insanity, laziness and sleep, which bind the conditioned soul. |
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