श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 14: प्रकृति के तीन गुण » श्लोक 5 |
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| | श्लोक 14.5  | |  | | सत्त्वं रजस्तम इति गुणा: प्रकृतिसम्भवा: ।
निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम् ॥ ५ ॥ | | अनुवाद | | भौतिक प्रकृति में तीन गुण हैं—सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण। हे महाबाहु अर्जुन, जब शाश्वत जीव प्रकृति के संपर्क में आता है, तो वह इन गुणों से बंध जाता है। | |
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