श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 14: प्रकृति के तीन गुण » श्लोक 3 |
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| | श्लोक 14.3  | |  | | मम योनिर्महद्ब्रह्म तस्मिन्गर्भं दधाम्यहम् ।
सम्भव: सर्वभूतानां ततो भवति भारत ॥ ३ ॥ | | अनुवाद | | हे भरतपुत्र! समग्र भौतिक वस्तुओं के स्रोत, ब्रह्म, के सहारे मैं सभी जीवों के जन्म को सम्भव बनाता हूँ। | |
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