अर्जुन उवाच
कैर्लिङ्गैस्त्रीन्गुणानेतानतीतो भवति प्रभो ।
किमाचार: कथं चैतांस्त्रीन्गुणानतिवर्तते ॥ २१ ॥
अनुवाद
अर्जुन बोले- हे प्रभु! जो पुरुष इन तीनों गुणों से ऊपर उठा हुआ होता है, उसको कैसे पहचाना जा सकता है? उसका आचरण कैसा होता है? और वह प्रकृति के गुणों से परे कैसे जा पाता है?