गुणानेतानतीत्य त्रीन्देही देहसमुद्भवान् ।
जन्ममृत्युजरादु:खैर्विमुक्तोऽमृतमश्नुते ॥ २० ॥
अनुवाद
जब जीव भौतिक शरीर से संबंधित इन तीनों गुणों के परे हो जाता है, तो वह जन्म, मृत्यु, बुढ़ापे और उनके कष्टों से मुक्त हो सकता है और इसी जीवन में अमृत का आनंद ले सकता है।