श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 14: प्रकृति के तीन गुण  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  14.18 
 
 
ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्था मध्ये तिष्ठन्ति राजसा: ।
जघन्यगुणवृत्तिस्था अधो गच्छन्ति तामसा: ॥ १८ ॥
 
अनुवाद
 
  सतोगुणी लोग क्रमशः ऊँचे लोकों में ऊपर जाते हैं, रजोगुणी इस पृथ्वीलोक में ही रहते हैं, और जो अत्यंत गर्हित तमोगुण में स्थित होते हैं, वे नीचे नरक लोकों में चले जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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