रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्गिषु जायते ।
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते ॥ १५ ॥
अनुवाद
जब कोई व्यक्ति रजोगुण में मरता है, तो वह उन लोगों के बीच जन्म लेता है जो स्वार्थपूर्ण कार्यों में लिप्त होते हैं, और जब कोई व्यक्ति तमोगुण में मरता है, तो वह पशुओं की योनि में जन्म लेता है।