श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 14: प्रकृति के तीन गुण » श्लोक 14 |
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| | श्लोक 14.14  | |  | | यदा सत्त्वे प्रवृद्धे तु प्रलयं याति देहभृत् ।
तदोत्तमविदां लोकानमलान्प्रतिपद्यते ॥ १४ ॥ | | अनुवाद | | जब प्राणी सत्वगुण में मरता है, तो उसे उच्च श्रेणी के महान ऋषियों के निर्मल लोकों की प्राप्ति होती है। | |
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