श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 14: प्रकृति के तीन गुण » श्लोक 13 |
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| | श्लोक 14.13  | |  | | अप्रकाशोऽप्रवृत्तिश्च प्रमादो मोह एव च ।
तमस्येतानि जायन्ते विवृद्धे कुरुनन्दन ॥ १३ ॥ | | अनुवाद | | जब तमोगुण की अधिकता होती है, हे कुरुवंशी! तब अँधेरा, निष्क्रियता, नशा और भ्रम प्रकट होता है। | |
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