श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 13: प्रकृति, पुरुष तथा चेतना  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  13.34 
यथा प्रकाशयत्येक: कृत्स्‍नं लोकमिमं रवि: ।
क्षेत्रं क्षेत्री तथा कृत्स्‍नं प्रकाशयति भारत ॥ ३४ ॥
 
 
अनुवाद
हे भारतपुत्र! जिस प्रकार सूर्य ही इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार शरीर में स्थित जीवात्मा चेतना द्वारा सम्पूर्ण शरीर को प्रकाशित करता है।
 
O son of Bharata! Just as the Sun alone illuminates this entire universe, similarly the soul situated within the body illuminates the entire body with consciousness.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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