श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 13: प्रकृति, पुरुष तथा चेतना » श्लोक 25 |
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| | श्लोक 13.25  | ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना ।
अन्ये सांख्येन योगेन कर्मयोगेन चापरे ॥ २५ ॥ | | | अनुवाद | कुछ लोग ध्यान के माध्यम से, कुछ लोग ज्ञान के अनुशीलन के माध्यम से, तथा कुछ लोग निष्काम कर्म के माध्यम से अपने अन्दर परमात्मा का अनुभव करते हैं। | | Some people see God within themselves through meditation, others through the practice of knowledge and there are some who see Him through selfless Karma Yoga. |
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