सर्वेन्द्रियगुणाभासं सर्वेन्द्रियविवर्जितम् ।
असक्तं सर्वभृच्चैव निर्गुणं गुणभोक्तृ च ॥ १५ ॥
अनुवाद
परमात्मा समस्त इंद्रियों के मूल स्रोत हैं, किंतु वे स्वयं इन्द्रियातीत हैं। वे समस्त प्राणियों के पालनहार हैं, किंतु वे स्वयं अनासक्त हैं। वे प्रकृति के गुणों से परे हैं, फिर भी वे भौतिक प्रकृति के समस्त गुणों के नियंत्रक हैं।